हे सृजनकर्ता
हे पालक पोषक
करते भरण तुम सबका
पाकर तुम्हारी
करूण दृष्टि
धूप भी लगती है छाया
हे प्रभु अदभुत है
तेरी माया
होने को तो
हो अदृश्य तुम
पर मन की दृष्टि से
दृष्टि हीनो के समक्ष भी
होते प्रकट तुम
हे माया के
पूज्यदेव
तुम हो सबके आदरणीय
हे सृजनकर्ता
इस सृष्टि के
तुम दृष्टिहीनो की
दृष्टि हो
तुम करूणा की वृष्टि हो
तुम मूको की
वाणी हो
तुम सूखे मरू के
पनघट हो
हे निराकार
हे रूपहीन
इस पूरे मिथ्या जग में
बस तुम ही सत्य हो
तुम ही सत्य हो
तुम ही सत्य हो
हे पालक पोषक
करते भरण तुम सबका
पाकर तुम्हारी
करूण दृष्टि
धूप भी लगती है छाया
हे प्रभु अदभुत है
तेरी माया
होने को तो
हो अदृश्य तुम
पर मन की दृष्टि से
दृष्टि हीनो के समक्ष भी
होते प्रकट तुम
हे माया के
पूज्यदेव
तुम हो सबके आदरणीय
हे सृजनकर्ता
इस सृष्टि के
तुम दृष्टिहीनो की
दृष्टि हो
तुम करूणा की वृष्टि हो
तुम मूको की
वाणी हो
तुम सूखे मरू के
पनघट हो
हे निराकार
हे रूपहीन
इस पूरे मिथ्या जग में
बस तुम ही सत्य हो
तुम ही सत्य हो
तुम ही सत्य हो