सोमवार, 22 सितंबर 2008

सिमट गई है

सिमट गई है मेरी दुनिया
पहले के टेलीफोन से अब के सैलफोन तक
तब के टाइपराइटर से अब के लैपटॉप तक
मिट गई है दूरिया
पहले के चरण स्पर्श से अब के आर्कुट स्क्रैप तक
पहले की चिठ्ठी से अब के एसएमएस तक
बदल गई है मेरी दुनिया
गोली वाले सोडे से डाइटकोक तक
खुली हवा में अखाड़े की कसरत से एयरकंडीशंड जिम तक
पहले की लंगोटी से साफ्टटच डाइपर तक
बनिये की दुकान से बिग बाजार मॉल तक
इस दुनिया में कितना कुछ बदल गया है
पापा से डैड और मम्मी से मॉम हो गया है
उधार का नाम अब क्रैडिट कार्ड होता है
एक दिन का नैन मटक्का डेटिंग होता है
खाने से जी चुराना अब डाइटिंग होता है
और भी ना जाने कितनी चीजों के बदले है नाम
सिक्स पैक और साइज जीरो ने भी कितना कमाया है नाम
सच कितनी सिमट गई है ये दुनिया
कितनी बदल गई है ये दुनिया
हम बदले वो बदले सब बदल बदल कर कितने बदल गये है
सच कितनी सिमट गई है ये दुनिया

गुरुवार, 6 मार्च 2008

तुम ही सत्य हो

हे सृजनकर्ता
हे पालक पोषक
करते भरण तुम सबका
पाकर तुम्हारी
करूण दृष्टि
धूप भी लगती है छाया
हे प्रभु अदभुत है
तेरी माया
होने को तो
हो अदृश्य तुम
पर मन की दृष्टि से
दृष्टि हीनो के समक्ष भी
होते प्रकट तुम
हे माया के
पूज्यदेव
तुम हो सबके आदरणीय
हे सृजनकर्ता
इस सृष्टि के
तुम दृष्टिहीनो की
दृष्टि हो
तुम करूणा की वृष्टि हो
तुम मूको की
वाणी हो
तुम सूखे मरू के
पनघट हो
हे निराकार
हे रूपहीन
इस पूरे मिथ्या जग में
बस तुम ही सत्य हो
तुम ही सत्य हो
तुम ही सत्य हो

उफ ये बेचैनी

ये बेचैनी हमे जीने नही देगी और बेचैनी चली गई तो शायद हम ही ना जी पाये तेरे इश्क मे सुकून कभी मिला ही नही बे-आरामी मे रहने की ये आदत ...