मंगलवार, 21 नवंबर 2017

तेरी आदत ने कितना बदल दिया है

अब तो याद ही नही है
कि कैसे जीते थे हम
कुछ आदते ये ही भुला देती है
कि उनके बिना लगता कैसा था।

कोई टिप्पणी नहीं:

उफ ये बेचैनी

ये बेचैनी हमे जीने नही देगी और बेचैनी चली गई तो शायद हम ही ना जी पाये तेरे इश्क मे सुकून कभी मिला ही नही बे-आरामी मे रहने की ये आदत ...