वो जो मेरे हिस्से का आसमां तुमने चुरा लिया था
उसे कुछ वक्त के लिये वापस चाहता हूं मै
बहुत दिनो से चांद देखने की मेरी ख्वाहिश अधूरी है
कुछ हसरते बाकी रह जाये जीने में
तो मज़ा और ही है
ये क्या कि दीदार-ए-यार के मरीज़ बन गये
कभी वादा करके जो वो ना आये तो
उसका इंतज़ार तो कुछ
और ही है
उसे कुछ वक्त के लिये वापस चाहता हूं मै
बहुत दिनो से चांद देखने की मेरी ख्वाहिश अधूरी है
कुछ हसरते बाकी रह जाये जीने में
तो मज़ा और ही है
ये क्या कि दीदार-ए-यार के मरीज़ बन गये
कभी वादा करके जो वो ना आये तो
उसका इंतज़ार तो कुछ
और ही है
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