सोमवार, 16 अक्तूबर 2017

कभी तो याद कर

कुछ शामें उधार है इस शहर की
वो चुकाने आया हूं
मै तेरे शहर में
इसी बहाने आया हूं 

मैं ना होता मैं
उनका आइना ही हो जाता
संवरने के बहाने ही सही
उन्हे मेरी याद तो आती

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