उस धागे मे अब भी बाकी है
तुम्हारे लबो की थोडी सी नमी
मेरी शर्ट में बटन टांकते वक्त जिसे
झटके से खींच दिया था तुमने
जब भी याद आती है उसपे नज़र
चली जाती है
निशानिया छोड़ने की आदत तो
हमेशा से रही है तुम्हारी
तुम्हारे लबो की थोडी सी नमी
मेरी शर्ट में बटन टांकते वक्त जिसे
झटके से खींच दिया था तुमने
जब भी याद आती है उसपे नज़र
चली जाती है
निशानिया छोड़ने की आदत तो
हमेशा से रही है तुम्हारी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें