जिस अखबार पर जलेबी रख के
खिलाई थी तुमने
वो टुकड़ा अब भी तुम्हारी
उंगलियो की चाशनी से भीगा पड़ा है
ना रद्दी मे बेच सकते है उसे
ना उमर भर वो हमसे संभाला जायेगा
खिलाई थी तुमने
वो टुकड़ा अब भी तुम्हारी
उंगलियो की चाशनी से भीगा पड़ा है
ना रद्दी मे बेच सकते है उसे
ना उमर भर वो हमसे संभाला जायेगा
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