सोमवार, 22 सितंबर 2008

सिमट गई है

सिमट गई है मेरी दुनिया
पहले के टेलीफोन से अब के सैलफोन तक
तब के टाइपराइटर से अब के लैपटॉप तक
मिट गई है दूरिया
पहले के चरण स्पर्श से अब के आर्कुट स्क्रैप तक
पहले की चिठ्ठी से अब के एसएमएस तक
बदल गई है मेरी दुनिया
गोली वाले सोडे से डाइटकोक तक
खुली हवा में अखाड़े की कसरत से एयरकंडीशंड जिम तक
पहले की लंगोटी से साफ्टटच डाइपर तक
बनिये की दुकान से बिग बाजार मॉल तक
इस दुनिया में कितना कुछ बदल गया है
पापा से डैड और मम्मी से मॉम हो गया है
उधार का नाम अब क्रैडिट कार्ड होता है
एक दिन का नैन मटक्का डेटिंग होता है
खाने से जी चुराना अब डाइटिंग होता है
और भी ना जाने कितनी चीजों के बदले है नाम
सिक्स पैक और साइज जीरो ने भी कितना कमाया है नाम
सच कितनी सिमट गई है ये दुनिया
कितनी बदल गई है ये दुनिया
हम बदले वो बदले सब बदल बदल कर कितने बदल गये है
सच कितनी सिमट गई है ये दुनिया

7 टिप्‍पणियां:

आत्महंता आस्था ने कहा…

parampara aur aadhunikata ko saral shabdo me prastuti di hai aapne.

मोहन वशिष्‍ठ ने कहा…

सच में आज जमाना कितना बदल गया और आपने जो लिखा है माशाअल्‍लाह बेहतरीन बिल्‍कुल सटीक धन्‍यवाद इतनी अच्‍छी पोस्‍ट पढवाने के लिए

Jimmy ने कहा…

bouth he aacha post kiyaa aapne

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प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना!
आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।
मैं अपने तीनों ब्लाग पर हर रविवार को
ग़ज़ल,गीत डालता हूँ,जरूर देखें।मुझे पूरा यकीन
है कि आप को ये पसंद आयेंगे।

बेनामी ने कहा…

zindagi ko badalte bahut kareeb se dekha hain shayad ?

बेनामी ने कहा…

वाह - बहुत खूब
देर से पढ़ा पर बहुत अच्छा लगा

JIGNASA PATEL ने कहा…

बहुत ही सुंदर रचना...

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