रविवार, 2 मार्च 2008

जुगनू

पल भर को ही सही
जुगनू ने तोड़ा तो
रात का अहम

2 टिप्‍पणियां:

Manohar Tejwani ने कहा…

अच्छी पंक्ति है...

JIGNASA PATEL ने कहा…

वाह!!!

उफ ये बेचैनी

ये बेचैनी हमे जीने नही देगी और बेचैनी चली गई तो शायद हम ही ना जी पाये तेरे इश्क मे सुकून कभी मिला ही नही बे-आरामी मे रहने की ये आदत ...